H3N2 वायरस क्या है? जानिए इसके बारे में विस्तार से जानकारी

इन्फ्लुएंजा सब-टाइप H3N2, जिसको सामान्यत: हांगकांग फ्लू के नाम से भी जाना जाता है। संपूर्ण भारत देश के अंदर सांस की बीमारी की वजह से अस्पताल के अंदर भर्ती होने वालों की संख्या में लगातार बढ़ोतरी हो रही है। H3N2 समस्त गंभीर तीव्र श्वसन संक्रमणों (SARI) तथा आउट पेशेंट इन्फ्लूएंजा जैसी बीमारियों के कम से कम 92 प्रतिशत तक हेतु जिम्मेदार है। यह दूसरे इन्फ्लूएंजा उपप्रकारों की अपेक्षा अधिक लोगों को अस्पताल के अंदर एडमिट करा रहा है। वर्तमान के अंदर, इसकी वजह से 2 मौतें हो चुकी है जो कि एक कर्नाटक में तथा दूसरी हरियाणा के अंदर हुई है।

H3N2 वायरस क्या है
H3N2 वायरस क्या है

इन्फ्लुएंजा उप-प्रकार H3N2 के रोकथाम के लिए भारत क्या कर रहा है?

भारत के अंदर इस वायरस को “मौसमी इन्फ्लुएंजा” (Seasonal Influenza) के रूप में पहचान जाता है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से वर्तमान में इसकी स्थिति को परखने के लिए तथा ट्रैक करने हेतु IDSP नेटवर्क के अंदर इस वायरस को सम्मिलित किया था। ICMR के द्वारा इन्फ्लूएंजा के रोकथाम के लिए ध्यान रखने वाली सावधानियों पर सलाह जारी की गई है। भारत सरकार मार्च माह तक मामलों के अंदर कमी की आशा कर रही है।

इसी के साथ ही मरीजों को श्रेणीबद्ध करने हेतु दिशा-निर्देश भी जारी किए गए हैं। स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से राज्य सरकारों को H3N2 मामलों के साथ वर्क कर रहे स्वास्थ्य देखभाल कर्मचारियों को टीका लगाने की भी सलाह प्रदान की गई है।

भारत में इन्फ्लुएंजा सब-टाइप H3N2 को मौसमी इन्फ्लूएंजा से क्यों पहचाना जाता है?

भारत के अंदर प्रत्येक वर्ष ठंड के मौसम की वजह से जनवरी से मार्च तक के महीनों के अंदर इन्फ्लूएंजा चरम सीमा पर रहता है। जैसे ही वातावरण के अंदर तापमान घटता है, मानव शरीर को अपने सामान्य कामकाज हेतु पर्याप्त गर्मी नहीं मिलती है जिससे पाचन प्रक्रिया की गति कम हो जाती है तथा अंततः, प्रतिरक्षा का स्तर भी घट जाता है। रोग प्रतिरोधक क्षमता में गिरावट होने की वजह से सामान्य सर्दी व बुखार जैसे इन्फ्लुएंजा के वायरस सरलता से से हमला बोल सकते हैं। इन्फ्लुएंजा सब-टाइप H3N2 वायरस कम प्रतिरक्षा की वजह से फैल रहा है, भारत सरकार के द्वारा इसे मौसमी इन्फ्लूएंजा के रूप में वर्गीकृत किया गया है।

इन्फ्लुएंजा सब-टाइप H3N2 के लक्षण क्या-क्या हैं?

सब-टाइप H3N2 के लक्षणों के अंदर बुखार, खांसी, सांस फूलना, घरघराहट तथा निमोनिया आदि के नैदानिक ​​लक्षण सम्मिलित हैं। यह वायरस 1968 की महामारी के दौरान पैदा हुआ था, जिसके कारण दस लाख से भी ज्यादा लोगों की मृत्यु हुई थी। इस फ्लू महामारी को 1968 के हांगकांग फ्लू महामारी के रूप में पहचाना जाता है। यह उसी साल जुलाई माह में चीन के अंदर उत्पन्न हुआ था।

वर्तमान परिदृश्य

H3N2 के 10 फीसदी रोगियों को ऑक्सीजन की आवश्यकता रही थी। 7% को आईसीयू देखभाल की आवश्यकता थी। 92% के द्वारा बुखार की शिकायत की गई। 27% की ओर से सांस फूलने की शिकायत आई। यदि इलाज आरंभ कर दिया जाए तो रोग को सरलता से सही किया जा सकता है। यदि जल्दी से निदान होता है तो अस्पताल के अंदर भर्ती होने की कोई जरूरत नहीं होती है।

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